डॉ. भीमराव आंबेडकर का जीवन परिचय – Ambedkar Biography in Hindi

डॉ. भीमराव आंबेडकर का जीवन परिचय – Ambedkar Biography in Hindi

Ambedkar Biography in Hindi : ‘डॉ. भीमराव आंबेडकर’, ये वो नाम है जिसे सिर्फ भारतीय संविधान का निर्माता ही नहीं ; बल्कि दलित जाति को उनके अधिकार और सम्मान दिलाने वाले एक प्रखर नायक के रूप में दुनियाभर में जाना जाता है। उनके द्वारा किये गए अटूट प्रयासों के बदौलत ही आज दलित समाज को उसका अधिकार मिल सका है। बाबासाहेब का संपूर्ण जीवन संघर्ष और सफलता की एक ऐसी मिसाल रही है, जो शायद ही पूरे दुनियाभर में कहीं देखने को मिलेगी। तो, आइये अब हम इस लेख के माध्यम से Ambedkar Biography in Hindi के बारे में विस्तार में जानते हैं।

Ambedkar Biography in Hindi – संछिप्त जीवन परिचय :

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पूरा नाम ‘डॉ. भीमराव आंबेडकर’
 जन्म   14 अप्रैल 1891  
जन्म स्थान महू, इंदौर, मध्यप्रदेश
अन्य नाम बाबासाहेब
 पिता रामजी मालोजी सकपाल
 माता भीमाबाई मुर्बद्कर
पत्नी       रमाबाई अंबेडकर       
(विवाह 1906- निधन 1935) 
 डॉ० सविता अंबेडकर      
( विवाह 1948- निधन 2003)
 संतान यशवंत अंबेडकर
 राष्ट्रीयता भारतीय
 उम्र 65 साल
धर्म हिंदू
जाति दलित, महार
सम्मान एवं पुरस्कार     • बोधिसत्व (1956) 
• भारत रत्न (1990) 
• पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम (2004) 
• द ग्रेटेस्ट इंडियन (2012)
 मृत्यु 6 दिसम्बर 1956
मृत्यु स्थान डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक, नयी दिल्ली, भारत
समाधि स्थल  चैत्य भूमि,मुंबई, महाराष्ट्र

Ambedkar Biography in Hindi – प्रारंभिक जीवन

Ambedkar Biography in Hindi :  डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में स्थित ‘महू’ के एक दलित परिवार में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14वीं तथा अंतिम संतान थे। इनके पिता भारतीय सेना की महू छावनी में सूबेदार के पद पर सेवारत थे। वे हिंदू धर्म के महार जाति से थे, जो उस समय अछूत कही जाती थी जिसके कारण उन्हें बहुत से सामाजिक तथा आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।

1894 में पिता के रिटायरमेंट के बाद आंबेडकर परिवार महाराष्ट्र के सतारा में शिफ्ट हो गया था। भीमराव की प्राथमिक शिक्षा सतारा में ही हुई थी। इसी बीच उनकी माता का देहांत हो गया तथा माँ की मृत्यु के बाद ही उनके पिता दूसरी शादी कर मुंबई शिफ्ट हो गए। वे वहां के किसी गरीब बस्ती में एक छोटे से मकान में रहने लगे, जहाँ दोनों के एक साथ सोने तक की व्यवस्था नहीं थी, तो भीमराव और उनके पिता बारी-बारी से सोते थे। जब उनके पिता सोया करते थे तो भीमराव दीपक की हल्की सी रोशनी में पढ़ाई करते थे।

भीमराव को संस्कृत पढ़ने का बहुत शौक़ था, परंतु छुआछूत की प्रथा के अनुसार और निम्न जाति होने के कारण वे संस्कृत नहीं पढ़ सकते थे। सन 1906 में मात्र 15 साल की उम्र में ही उनका विवाह 9 वर्षीय रमाबाई से हो गया था।

अनेक अपमानजनक स्थितियों का सामना करते हुए भी डॉ. भीमराव अंबेडकर ने धैर्य और वीरता का परिचय दिया तथा मुंबई के एलफिन्स्टोन स्कूल से 1907 में सफलतापूर्वक मैट्रिक की परीक्षा पास की। फिर 1912 में मुंबई विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में बी॰ए॰ की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई में वे बहुत अच्छे व तेज दिमाग के थे, उन्होंने सारे एग्जाम अच्छे अंकों से पास किया, इसलिए उन्हें बड़ौदा के गायकवाड के राजा सहयाजी से हर महीने 25 रूपए की स्कॉलरशिप मिलने लगी। अपने स्कॉलरशिप के पैसों से वो आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए।

Ambedkar Biography in Hindi – शिक्षा – दीक्षा

Ambedkar Biography in Hindi : 1913 में, 22 साल की उम्र में वे अमेरिका गए। 1915 में उन्होंने अपनी एम॰ए॰ की परीक्षा पास की। अर्थशास्त्र उनका प्रमुख विषय था तथा समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, दर्शनशास्त्र और इतिहास अन्य विषय थे। इसी बीच उन्होंने अपना शोध आरम्भ किया ; शोध का विषय था – ‘प्राचीन भारत का वाणिज्य’। 1916 में, उन्होंने अपना दूसरा शोध कार्य किया जिसका विषय था – ‘भारत का राष्ट्रीय लाभांश – एक ऐतिहासिक और विश्लेषणात्मक अध्ययन’, इसके बाद 1916 में ही तीसरे शोध – ‘ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास’ पर भी काम शुरू कर दिया और अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की और फिर लंदन चले गए।

लंदन जाकर स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रवेश लिया, लेकिन फिर जून 1917 में अस्थायी रूप से बीच में ही पढ़ाई छोड़ भारत लौट आये। यहाँ आकर बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में काम किया पर वहां उनके साथ हुए भेदभाव से दुखी होकर उन्होंने ये नौकरी छोड़ दी। फिर उन्होंने अपने एक परामर्श व्यवसाय की भी शुरुआत की, मगर सामाजिक स्थितियों के कारण वो भी असफल रहा।

अब अंततः मित्रों व कुछ निजी बचत की सहायता से वो एक बार फिर इंग्लैंड जा सके। वहां उन्होंने 1921 में एम॰एससी॰ तथा 1923 में अर्थशास्त्र में डी॰एससी॰ की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद 1952 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से एलएल॰डी॰ और 1953 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से डी॰लिट॰ की उपाधियाँ प्राप्त की।

छुआछूत के विरुद्ध आंबेडकर का संघर्ष और महात्मा गाँधी से मतभेद :

Ambedkar Biography in Hindi : डॉ. भीमराव आंबेडकर दलितों के लिए एक मसीहा बनकर उभरे थे। उन्होंने दलितों के अधिकार और उनके साथ हो रहे भेदभाव व छुआछूत के विरुद्ध आजीवन संघर्ष किया। बचपन से ही उनके साथ बहुत भेदभाव हुआ था। स्कूलों व कॉलेजों में भी उन्हें अछूत की दृष्टि से देखा जाता था।

1918 में, जब वे सिडेनहम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनितिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे तो वहां पर अन्य प्रोफेसरों ने इन्हें अपमानित किया और इनके साथ जलपात्र साझा करने पर विरोध प्रदर्शन कर दिया था। उनके साथ निरंतर हो रहे इसी भेदभाव और अपमानों का उनके जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा और फिर उन्होंने निम्न वर्गों को उनका अधिकार और सम्मान दिलाने का दृढ़ संकल्प लिया जिसके निर्वाह में उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

उन्होंने अछूतों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अनेकों प्रयास किये। केंद्रीय संस्थान – ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ की स्थापना उनका पहला संगठित प्रयास था। 1818 की कोरेगाँव की लड़ाई के दौरान मारे गए महार सैनिकों के सम्मान में जनवरी 1927 में आंबेडकर ने एक समारोह का आयोजन किया जिसमें उन्होंने शिलालेख पर उन सैनिकों के नाम अंकित करवाकर, कोरेगाँव को दलित स्वाभिमान का प्रतीक कहा।

अब 1927 में उन्होंने छुआछूत के विरुद्ध कई आंदोलन और सत्याग्रह प्रारम्भ किया, जिसके तहत उन्होंने सार्वजनिक सुविधाओं तथा हिन्दू मंदिरों में अछूतों के प्रवेश करने के अधिकार की मांग की। 

इसी समय की बात है जब प्राचीन हिन्दू पाठ ‘मनुस्मृति’ (जिसमें जातीय भेदभाव व जातिवाद का खुलेआम समर्थन हुआ है) की प्रतियों को औपचारिक रूप से 25 दिसंबर 1927 को जला दिया था जिसकी स्मृति में आज भी हिन्दू दलितों के द्वारा 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इसके अतिरिक्त 1930 में उन्होंने कालाराम मन्दिर सत्याग्रह की शुरुआत की जिसमें अनुमानित 15,000 स्वयंसैनिकों ने इनका समर्थन किया था। 8 अगस्त, 1930 को प्रथम गोलमेज सम्मेलन में आंबेडकर ने पहली बार अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। फिर 1931 में, दूसरे गोलमेज सम्मलेन के दौरान दलितों के लिए अलग निर्वाचिका बनाये जाने के विषय में आंबेडकर व गाँधीजी के बीच तीखी बहस हुई थी।

आंबेडकर के विचारों से सहमत होकर ब्रिटिशों ने 1932 में दलितों के लिए अलग निर्वाचिका बनाने की घोषणा की, जिसमें दलितों को दो वोटों का अधिकार दिया गया ; एक वोट से वो दलित प्रतिनिधि तथा दूसरे से सामान्य वर्ग के प्रतिनिधि को सुन सकते थे।

इस समय गाँधीजी पूना की येरवडा जेल में थे। इस खबर से गाँधीजी असहमत थे उन्होनें तुरंत ही प्रधानमंत्री को पत्र लिख इसे बदलने की मांग रखी, किन्तु कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर उन्होनें मरण व्रत की घोषणा कर दी। जिस पर व्यंग करते हुए आंबेडकर कहते हैं – 

“यदि गाँधी देश की स्वतंत्रता के लिए यह व्रत रखता तो अच्छा होता, लेकिन उन्होंने दलित लोगों के विरोध में यह व्रत रखा है, जो बेहद अफसोसजनक है। जबकि भारतीय ईसाईयों, मुसलमानों और सिखों को मिले इसी (पृथक निर्वाचन के) अधिकार को लेकर गाँधी की ओर से कोई आपत्ति नहीं आई।”

मरण व्रत के कारण जब गाँधी जी के प्राण संकट में आन पड़े थे तो सारे हिन्दू समाज में आंबेडकर का विरोध होने लगा। जब स्थिति और अधिक बिगड़ने लगी तो 24 सितम्बर 1932 को शाम पाँच बजे आंबेडकर येरवडा जेल पहुंचे जहाँ उनके और गाँधी जी के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत आंबेडकर ने कम्युनल अवार्ड में दलितों को मिले अलग निर्वाचन को छोड़ने की घोषणा की और साथ ही आरक्षित सीटों की संख्या 78 से बढ़ा कर 148 करवाने की मांग रखी। यह समझौता पूना पैक्ट  के नाम से जाना जाता है।

Ambedkar Biography in Hindi – आंबेडकर का राजनीतिक जीवन

Ambedkar Biography in Hindi : 1926 में आंबेडकर के राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई तथा 1956 तक उन्होंने ने राजनीति के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। 1926 में, वे बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य के रूप में नामित किये गए। 1936 तक वे बॉम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य थे। 1936 में ही उन्होनें ने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की थी। 1942 से 1946 के दौरान वे रक्षा सलाहकार समिति तथा वाइसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम मंत्री के रूप में कार्यरत रहे।

आम्बेडकर ने भारत की आज़ादी की लड़ाई में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था। आंबेडकर ने 1952 का पहला भारतीय लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन नारायण काजोलकर से हार गए। 1952 में वे राज्य सभा के सदस्य बनें। राज्यसभा सदस्य के रूप में आंबेडकर का पहला कार्यकाल 3 अप्रैल 1952 से 2 अप्रैल 1956 के तक का था, और उनका दूसरा कार्यकाल 3 अप्रैल 1956 से 2 अप्रैल 1962 तक का था, किन्तु कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हो गयी।

Ambedkar Biography in Hindi – भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में आंबेडकर

Ambedkar Biography in Hindi : 15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्र होने के बाद आंबेडकर को पहले क़ानून एवं न्याय मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। आंबेडकर बहुत ही बुद्धिमान तथा संविधान के एक महान विशेषज्ञ थे। उन्होनें कई देशों के संविधानों का विस्तृत अध्ययन किया था। आंबेडकर द्वारा बनाये गए संविधान को संविधान सभा के द्वारा 26 नवम्बर 1949 अपना लिया गया। यहाँ आंबेडकर कहते हैं –

“मैं महसूस करता हूं कि संविधान, साध्य है, यह लचीला है पर साथ ही यह इतना मज़बूत भी है कि देश को शांति और युद्ध दोनों के समय जोड़ कर रख सके। वास्तव में, मैं कह सकता हूँ कि अगर कभी कुछ गलत हुआ तो इसका कारण यह नही होगा कि हमारा संविधान खराब था बल्कि इसका उपयोग करने वाला मनुष्य अधम था।”

धर्म परिवर्तन

सन 1950 के समय तक आंबेडकर बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित होने लगे थे। वे बौद्ध धर्म पर एक पुस्तक लिखने लगे और यह घोषणा की कि इस पुस्तक के समाप्त होते ही वो बौद्ध धर्म को अपना लेंगे।

मृत्यु

64 साल 7 महीने की उम्र में 6 दिसंबर 1956 में दिल्ली में उनकी मृत्यु हो गयी। हर साल भारत में 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती तथा 6 दिसंबर को उनकी पुण्यतिथि मनाई जाती है।

लिखित पुस्तकें

  • वेटिंग फ़ॉर अ वीज़ा (आत्मकथा) (1935-1936)
  • एडमिनिस्ट्रेशन एंड फिनांसेज़ ऑफ़ द ईस्ट इंडिया कंपनी 
  • द एवोल्यूशन ऑफ़ प्रोविंशियल फिनांसेज़ इन ब्रिटिश इंडिया (1925)
  • दी प्राब्लम आफ दि रुपी : इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन (1923)
  • अनाइहिलेशन ऑफ कास्ट्स (जाति प्रथा का विनाश) (1936)
  • विच वे टू इमैनसिपेशन (1936)
  • फेडरेशन वर्सेज़ फ्रीडम (1936)
  • पाकिस्तान और द पर्टिशन ऑफ़ इण्डिया/थॉट्स ऑन पाकिस्तान (1940)
  • रानडे, गाँधी एंड जिन्नाह (1943)
  • मिस्टर गाँधी एण्ड दी एमेन्सीपेशन ऑफ़ दी अनटचेबल्स (1945)
  • वॉट कांग्रेस एंड गाँधी हैव डन टू द अनटचेबल्स ? (1945)
  • कम्यूनल डेडलाक एण्ड अ वे टू साल्व इट (1946)
  • हू वेर दी शूद्राज़ ? (1946)
  • भारतीय संविधान में परिवर्तन हेतु कैबिनेट मिशन के प्रस्तावों का, अनुसूचित जनजातियों (अछूतों) पर उनके असर के सन्दर्भ में दी गयी समालोचना (1946)
  • द कैबिनेट मिशन एंड द अंटचेबल्स (1946)
  • स्टेट्स एण्ड माइनोरीटीज (1947)
  • महाराष्ट्र एज ए लिंग्विस्टिक प्रोविन्स स्टेट (1948)
  • द अनटचेबल्स: हू वेर दे आर व्हाय दी बिकम अनटचेबल्स (अक्तुबर 1948)
  • थॉट्स ऑन लिंगुइस्टिक स्टेट्स: राज्य पुनर्गठन आयोग के प्रस्तावों की समालोचना (प्रकाशित 1955)
  • द बुद्धा एंड हिज धम्मा (भगवान बुद्ध और उनका धम्म) (1957)
  • डिक्शनरी ऑफ पाली लॅग्वेज
  • द पालि ग्रामर 
  • द अनटचेबल्स और द चिल्ड्रेन ऑफ़ इंडियाज़ गेटोज़
  • केन आय बी अ हिन्दू?
  • रिडल्स इन हिन्दुइज्म
  • अ पीपल ऐट बे
  • इसेज ऑफ भगवत गिता
  • इण्डिया एण्ड कम्यूनिज्म
  • रेवोलोटिओं एंड काउंटर-रेवोलुशन इन एनशियंट इंडिया
  • व्हॉट द ब्राह्मिण्स हैव डन टू द हिन्दुज
  • द बुद्धा एंड कार्ल मार्क्स (बुद्ध और कार्ल मार्क्स)
  • कोन्स्टिट्यूशन एंड कोस्टीट्यूशनलीज़म